कहीं नदिया है कहीं घाटियाँ कहीं फूलों की बगिया है कहीं रेत कहीं झरने है कहीं नदिया है कहीं घाटियाँ कहीं फूलों की बगिया है कहीं रेत कहीं झरने है
उस हंसी के जैसा देखा चांद है! वो फ़लक पे आज निकला चाँद है! उस हंसी के जैसा देखा चांद है! वो फ़लक पे आज निकला चाँद है!
देश का एक बड़ा जनसमूह इसी मानसिकता से ग्रस्त है,सहमत हों तो अवश्य प्रतिक्रिया दें ।आपके समक्ष प्रस्तु... देश का एक बड़ा जनसमूह इसी मानसिकता से ग्रस्त है,सहमत हों तो अवश्य प्रतिक्रिया दें...
बारिश की पहली बूंदो को, तुम हथेली में छुपा लेना. बारिश की पहली बूंदो को, तुम हथेली में छुपा लेना.
आज कर रही है निर्भया इस न्याय का आभार, है वो इस देश की भी शुक्रगुज़ार आज कर रही है निर्भया इस न्याय का आभार, है वो इस देश की भी शुक्रगुज़ार
लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकताया। लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकताया।